चकिया (चंदौली) : डबल इंजन की सरकार में अधिकारी जनता के फोन का जवाब देना समझते हैं अपमान ! उत्तर प्रदेश की डबल इंजन की सरकार में जहां जनता को पारदर्शिता, जवाबदेही और त्वरित समाधान का भरोसा दिया गया है, वहीं ज़मीनी स्तर पर हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। चंदौली जनपद के चकिया क्षेत्र में बिजली विभाग के अधिकारी और कर्मचारी जनता के साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं, मानो उनसे सवाल पूछना कोई अपराध हो।
सैदूपुर फीडर पर 24 घंटे में सिर्फ 7-8 घंटे बिजली!
चकिया पावर हाउस से जुड़े सैदूपुर फीडर की स्थिति बेहद खराब है। भीषण गर्मी और उमस के बीच 24 घंटे में महज़ 7 से 8 घंटे ही बिजली आपूर्ति हो रही है। लोग घरों से बाहर खुले में रहने को मजबूर हैं और नवजात शिशु से लेकर बुज़ुर्ग तक गर्मी से बेहाल हैं।
जनता पूछे सवाल तो मिलता है तिरस्कार
जब क्षेत्रवासी समस्या की जानकारी लेने के लिए अधिकारियों से संपर्क करते हैं, तो उन्हें न तो जवाब मिलता है और ना ही उनके साथ सम्मानजनक बर्ताव होता है। कल एक स्थानीय पत्रकार द्वारा जानकारी लेने के लिए चकिया पावर हाउस के SDO महोदय से “5 मिनट बाद बात करने” को कहा, लेकिन दोबारा फोन करने पर कॉल काट दी गई। वहीं, JE महोदय को बार-बार करने कॉल करने के बाद भी कॉल रिसीव नहीं हुआ।
सवाल ये उठता है क्या ? अधिकारी खुद को जनता से ऊपर समझते हैं? जनता यह सवाल पूछने पर मजबूर है!
सवाल नंबर 1- क्या यह अफसरशाही का घमंड है?
सवाल नंबर 2- क्या सरकार के आदेश अब इन अधिकारियों के लिए कोई मायने नहीं रखते?
सवाल नंबर 3- क्या जनता अब भी शासन के “जनसुनवाई” व “समाधान दिवस” जैसे वादों पर भरोसा करे?
अगर जनता करेगी आंदोलन, तो जिम्मेदार कौन?
अगर इसी तरह जनता की उपेक्षा होती रही तो बिजली विभाग के खिलाफ आंदोलन की स्थिति बनेगी — और उसके जिम्मेदार वही अधिकारी होंगे जो जनसेवा की जगह मनमानी को तवज्जो दे रहे हैं।
???? निष्कर्ष:
चकिया क्षेत्र की यह स्थिति बताती है कि सरकार के नीतियों और अधिकारियों के व्यवहार में कितना अंतर है। अगर शासन प्रशासन नहीं चेता, तो यह जन असंतोष बड़े विरोध का रूप ले सकता है।
रिपोर्ट – अनिल द्विवेदी